मोबाइल
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हमेशा की तरह माँ को फेसबुक पर व्यस्त देख बेटी मिशिका ने माँ से कहा -" कैसा लग रहा है माँ , अब आपको , इस नये मोबाइल और फेसबुक की दुनियां में । "बहुत अच्छा बेटा तूने तो मेरे शांत जीवन मे हलचल मचा दी । कितना कुछ है, इसमे नई नई देश विदेश की जानकारियां , तरह तरह के खाने की रेसिपी,ब्यूटी केअर और जाने क्या क्या , ये मोबाइल तो सचमुच बहुत काम की चीज है आज के जमाने में ।" मिशिका की माँ अमृता ने कहा ।
"हाँ माँ तभी तो लोग इसमे आजकल ज्यादा समय बिताते हैं ।"
मिशिका मुस्कुरा उठी अपनी माँ की बात सुनकर , पापा चले जाते हैं ऑफिस और मिशिका कि भी, अभी छ महीने पहले ही कॉलेज में जॉब लग गई तो वह भी सुबह नौ बजे निकल जाती है कॉलेज । अकेले माँ घर पर बोर होती रहती, सो उसने माँ के लिए एक स्मार्ट फ़ोन ला कर दिया और व्हाट्सएप और फेसबुक का खाता भी मां का खोल दिया ।
माँ ने तो शुरू में कहा "अरे मैं कहां चला पाऊंगी बेटा," पर समय निकाल कर मिशिका ने मां को सारी चीज़ें सीखा दी।
माँ बहुत खुश है अब ,कि मेरी बेटी कितनी बड़ी हो गई मुझे ,सब कितने धैर्यपूर्वक उसने सिखाया,
बेटी भी खुश है माँ ने जीवन भर हमें सिखाया , पढ़ाया अब हमारी बारी आई तो हम भी पीछे क्यों हटें ।
पापा भी देख रहे हैं अब उनकी पत्नी अमृता अकेलेपन का रोना नहीं रोती ।
रविवार का दिन था आज मिशिका के हाथ माँ की कोई ऐसी चीज लगी है जिसे देख वह विस्मित है ।
"माँ माँ कहाँ हो आप । "
"क्या हुआ भाई क्यों घर आसमाँ पर उठा रखा है तूने "
"माँ ये क्या है , माँ की डायरी और साथ में एक कागज का पुलिंदा पकड़े मिशिका ने मां का हाथ पकड़ पास में बैठाया मां को ।
" अरे बेटा वो तो मेरा शौक "
वाक्य पूरा होने के पहले ही मिशिका ने कहा "अरे आपने क्यों इस अपने शौक को दबा के रखा है माँ ?
आपको लिखने का इतना शौक है और आपने हमें कभी बताया नहीं। "
"बेटा घर गृहस्थी के चक्कर में सब लिखने पढ़ने का शौक बस पीछे रह गया "अमृता ने कहा
"अब समय आ गया है माँ ,अब आप अपने सारे शौक पूरे करिए, साहित्य आपकी आत्मा है माँ , मुझे अब समझ आया कि आप कितना अच्छा लिख सकती हैं सही दिशा न मिलने की वजह से आप आगे ना बढ़ पाईं ।"
"आपको पता है माँ आप मोबाइल में फेसबुक के जरिये भी अब बहुत कुछ लिख पढ़ सकती हैं" - मिशिका ने मां की ओर प्यार से देखते हुए कहा
"पर बेटा मुझे तो पता नहीं कहाँ , क्या और कैसे "
"अरे मम्मा मैं हूं न आपकी बेटी सब बताऊंगी आपको ।"
मिशिका ने फेसबुक पर साहित्य के कई ग्रुप से माँ को जोड़ दिया और उनको, उसमे अपनी रचनाएं प्रेषित करने का तरीका भी बताया । थोड़ा समय लगा पर अमृता सब सीख गई जहाँ मुश्किल आती ,बेटी साथ खड़ी होती।
समय बीता ,आज अमृता की रचनाएं सभी मंच पर छपने लगीं , बहुतों से परिचय हुआ , बहुत मित्र भी बन गए ,रिश्तेदार भी आश्चर्य चकित इतनी प्रतिभा कहाँ छिपी थी अब तक अमृता की ।
कई काव्य संकलन ,लघुकथायें , उपन्यास छप कर आ गए , आज एक बहुत बड़े मंच पर उसे सम्मान हेतु निमंत्रण था , पति और बेटी के साथ वह पहुचीं , मंच पर दो शब्द कहने जब कहा गया, गला रुंध गया उसका पापा ने बेटी को इशारा किया ,बेटी ने आकर सम्हाला उस समय उसे ।अमृता ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा "ना हो पाता सम्भव यह गर ,बेटी ना होती , आज इन ऊंचाईयों पर पहुँचने का श्रेय मेरी बेटी को जाता है जिसने मेरी हिम्मत बढ़ाई , मेरा हर पग पर सहयोग किया गर्व है मुझे अपनी बेटी पर ।
और बेटी मिशिका ने मां का हाथ पकड़कर बस इतना कहा "माँ आज आपकी वजह से मैं हूं ,और ये तुम्हारी परवरिश का ही तो फल है जो मुझे आज इस काबिल तुमने बनाया है ।"
हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है ।
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एक बात मेरी नज़र से पाठकों के लिए - यदि मोबाइल का सही उपयोग हो तो इंसान आसमान की बुलंदियों को छू सकता है और गलत उपयोग से पतन के गर्त में भी जाने में देर नही लगती ।