वह लड़की
वह लड़की
वह नाजुक सी, घबरायी सी लड़की नाम था शबाना, वकील साहब के पास डरते पहुँची। हम भी वहीं बैठे हुये थे। वह काँप रही थी, डर रही थी, रो भी रही थी। हमने पूछा
“अरे बिटिया रो नही, कुछ तो बताओ”
बोली “जी हमे इंसाफ चाहिये”
तभी भारी भरकम शरीर लेकर उसकी माँ लड़ने के अंदाज में लगभग चीखते हुए बोली, “रो नही फैसला तो हमारे ही हिसाब से होगा”
हम घूमकर बोले “यहाँ चीखों मत, यह तुम्हारा घर नही है”
तब तक बिटिया चुप हो गयी थी। बोली “जी हमारा निकाह जिनसे हुआ है वो पहले ही शादी शुदा थे। हमसे निकाह किया दहेज भी लिया और मार-पीट कर निकाल भी दिया”
हम उस लडकी का मासूम चेहरा देख कर सोचते ही रह गये इस लडकी ने क्यों पहले नहीं सोचा और ऐसे इंसान को चाह बैठी ऐसे गलत इंसान को।
मुकदमा चला, केस जीत गयी। उसका वह मेहर भी मिला पर उसका इतना खूबसूरत समय खो गया, क्या वह वापस लौटा पायेंगे?