Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vandana Bhatnagar

Inspirational

2.6  

Vandana Bhatnagar

Inspirational

किसका पलड़ा भारी

किसका पलड़ा भारी

3 mins
508


शौर्य और मयंक एक ही स्कूल में एक ही कक्षा में पढ़ते थे पर दोनों की आर्थिक स्थिति में बहुत अंतर था। मयंक के पिताजी एक मज़दूर थे तो शौर्य के पिता की गिनती शहर के रसूखदार लोगों में होती थी। शौर्य, मयंक की गरीबी का बहुत मज़ाक उड़ाया करता था पर मयंक इस ओर ध्यान न देकर अपनी पढ़ाई में ही मशगूल रहता था। उसे पता था कि उसके पापा दिन रात मेहनत करके उसे अच्छे स्कूल में इसलिए पढ़ा रहे हैं ताकि उसका भविष्य उज्जवल हो। पर शौर्य का मन पढ़ने में कम ही लगता था। उसने लगभग सभी विषयों के, अपने स्कूल के टीचर्स से ट्यूशन लगा रखे थे और आए दिन वो टीचर्स को महंगे महंगे उपहार भी देता रहता था शायद इसी वजह से वह पास भी हो जाता था। जबकि मयंक हमेशा ही अच्छे नंबरों से पास होता था।

दसवीं में जब बोर्ड के पेपर हुए तो शौर्य के पैसों का दबदबा नहीं चला और वह फेल हो गया जबकि मयंक ने अपने ज़िले में टॉप किया था। अब मयंक ने आईआईटी की तैयारी भी शुरू कर दी थी। बारहवीं के बाद उसका रुड़की आईआईटी में सिलेक्शन हो गया था। बी.ई. करके उसका एक अच्छी कंपनी में अच्छे पैकेज पर सैलेक्शन भी हो गया था। अब उसने अपने पिता को मज़दूरी करने से मना कर दिया था।

नौकरी के लगभग दो साल बाद मयंक अपना मकान बनवा रहा था। जब मकान बनाने के लिए लेबर आयी तो उसमें एक चेहरा उसे जाना पहचाना लगा जब उसने उसे गौर से देखा तो वह शौर्य था। वह उसे मज़दूर के रूप में देख कर चौंक गया और उससे पूछ बैठा कि यह सब कैसे ? शौर्य बोला मेरा पढ़ने में तो मन लगता ही नहीं था बस अपने पापा के पैसों पर बहुत गुरूर था। पर समय सदा एक सा नहीं रहता। हमारे बिज़नेस में बहुत घाटा हो गया था। सारी जमा पूंजी एवं प्रॉपर्टी भी बिक गई। हम ज़मीन पर आ गए। मेरे पापा ये सदमा बर्दाश्त न कर सके और परलोक सिधार गए। मेरी माँ का तो पहले ही स्वर्गवास हो चुका था।

मुझे तब अपनी वास्तविकता पता चली। पढ़ा लिखा तो था नहीं तो बस पेट पालने को मज़दूरी शुरू कर दी। अगर मैं पढ़ाई के वक्त पढ़ाई पर ध्यान देता और पैसों के गरूर में ना रहता तो आज मेरा यह हश्र नहीं होता। मयंक बोला शिक्षा का हुनर ऐसा है जो कोई हमसे छीन नहीं सकता और इसके बल पर हम कुछ भी कर सकते हैं। पैसा कमाना तो हाथ की मैल के बराबर है। शिक्षा का पलड़ा पैसे से हमेशा ही भारी रहता है। शौर्य उसकी बात सुनकर नीची नज़रें करके अपने काम में लग गया। मयंक को आज अपनी शिक्षा पर बड़ा फ़क्र हो रहा था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational