जुर्म की कालिख
जुर्म की कालिख
जींस-टीसर्ट का व्यवसाय कर रहे एक व्यापारी मुकुंदी लाल ने बहुत बड़ा धोखा खाया। जैसा कि धंधे में होता है लेन-देन, वैसे ही किया। फिर भी बहुत बड़ी चपत लगी उसे। उसे ही नहीं सिर्फ और दुकानदारों को भी।
एक प्रभावशील व्यक्तित्व वाला एक ग्राहक आया, आकर कहा, "राम-राम जी! और भाया के हाल है। बाजार किसो चाल रहयों है। म सुनो कि तेजी आवगी बजाज (कपड़ा) क कारोबार म।" एक साँस में वो ग्राहक बहुत कुछ बोल गया।
"जी नमस्ते! जी आपका शुभ नाम?"
"ये लो म्हारो नाम पुछअ है, म्हानअ कुन कोनी जान सारे राजस्थान म। फेर बी बताउ हूँ, म कुंज बिहारी हूँ, म्हानअ सारअ चोटी आले के नाम स पिहचानअ है।"
खैर मुकुंदी ने सोचा ये सच ही बोल रहा होगा।
वैसे भी मुझे क्या करना है, कौन-सा उधार देना है, नकद लेन-देन करना हैI "कोई बात नहीं। हाथ जोड़ते हुए, हाँ तो कहिए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?"
कुंज बिहारी ने कहा, "जी, आपनो कपड़ों को कारोबार है; अभी तक तो थान की थान ला कर बेचा करताI अब छोरा बड्डा होगा तो ब कहव है बापू अब रेडीमेड को भी काम करला हा, आज कल रेडीमेड को जमानो है। खुब चालगो।"
"जी," मुकुंदी ने कहा, "तो आपको किस तरह का माल चाहिए। आकर कुछ आयटम देख लें, फिर बता देना।"
इस तरह से उनके बीच सौदा हो गया। और कम से कम कुंज बिहारी ने १५ से २० करोड़ का माल उठा लिया। और सारी नकद राशि दे कर गया।"
इस सौदे से बहुत खुश था मुकुंदी। ५-६ बार ऐसा ही हुआ। आस-पास के दुकानदारों से भी कुंज बिहारी ने सौदे किये थे। सब पर अच्छा प्रभाव छोड़ा था लेन-देन का। गुडविल अच्छी बन गई थी उसकी कपड़ा मार्केट मेंI अब लोग कुंज बिहारी को उधार भी देने लगे थे।
एक बार पुरे मार्केट से उसने ३०० करोड़ के करीब का माल उठा लिया। वो भी उधार और चला गया। मार्केट में साख अच्छी बनने के कारण उसे इतना बड़ा उधार मिल गया था। मार्केट के एक दुकानदार के बेटे की शादी थीI उसने कुंज बिहारी को भी बुलाया थाI शादी के दिन उसका इंतजार हो रहा था। फोन पर फोन किये जा रहे थे। तो जवाब में वो कहता, "जी, फिकर मता करो; मेह सही समय पर पुँच जावागे। अभी फ्लाइट म हा। प्लाइट चाली है अबी।"
फिर फोन करने पर कहा, "जी टैक्सी म बैठ ग्या हा।" फिर फोन किया तो कहा, "बस पुचन आला हा जीI"
शादी में उसका इंतजार बेसब्री से हो रहा था। शादी सम्पन्न हो गई मगर वो कुंज बिहारी नहीं आया।
शादी के ३- ४ दिन बाद कुछ दुकानदार एकत्र होकर उसके ठिकाने पर पहुँचे तो पाया कुछ भी नहीं वहाँ पर। ये देख सभी अचरज में पड़ गए । होश खोने लगे थे सब, आखिरकार करोड़ो की रकम लेके भागा था सभी केI सभी ने उसकी FIR दर्ज कराई। पुलिस ने अपनी कार्यवाही बैठाई। मगर वो हाथ नहीं आया।
आज तक वो नहीं पकड़ा गया। अपने परिवार से भी नहीं मिला कभी। उसके परिवार को भी नहीं मालूम कि वो कहाँ है।
क्या फायदा हुआ ऐसे धन का जो न उसके काम आ सका न ही परिवार के। आखिर परिवार के लिए ही तो कर रहा था वो ये
सबI जुर्म की कालिख से अपने हाथ काले किये, जो जिंदगी खुशियों से सजानी चाहिए थी, वो उसने कालिख से पोत ली।
अब वो अपने काले हाथ लिए ऊपर वाले से अपने गुनाहों की माँफी माँग रहा है।