जल-वृक्ष संवर्धन
जल-वृक्ष संवर्धन
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तृषार्त धरेला। ओढ रे मेघाची।
निळ्या निळाईची। आभाळीच्या।
रानी हिरवाई।जाई कोमेजून
तप्त उन्हावून। दुष्काळात।
पाखरास चारा। प्राण्यांना उबारा
बरसता धारा।आनंदती।
वृक्ष तरूवेली। चिंब चिंब ओली।
पावसाचे ल्याली। मोतीहार।
दाट झाडे वनी। ढगा आवतण।
पर्जन्याला वाण। नसेलच।
पाणी टंचाईची।होई बोळवण।
जल साठवण। दूरदृष्टी।
तुझ्या हातातच। धरती श्रृंगारी
मानवा संसारी। समृद्धी ही।
सांभाळ मायेने।पांग फेडावया।
वेद प्रसवाया।काळी माय।
हीच आस मनी।जपू निसर्गाला।
ओझोन वायुला।वाढवूया।