तूच ( अभंग रचना )
तूच ( अभंग रचना )
तूच ( अभंग रचना )
मतदान एक I राष्ट्रीय कर्तव्य ॥
देशा भवितव्य | जाण तूच ॥ १ ॥
मताधिकार तो | केलाय बहाल ॥
त्याचीच कमाल I राजा तूच ॥ २ ॥
विवेकबुद्धीला | जागृत करून ॥
दयावा निवडून | नेता तूच ॥ ३ ॥
देशाचा उद्धार | मत तुझे देता ॥
सामर्थ्य भारता I देतो तूच ॥ ४ ॥
देती प्रलोभन | राही तरी दूर ॥
लोकशाही वीर I होय तूच ॥ ५ ॥