मोह से मुक्ति दो
मोह से मुक्ति दो
गिरह खोल दो ना
मोह के रेशमी धागों की
देवदूत के हाथ मुझे
खींचे अपनी ओर
एक तुम्हारे मोह की माला
जकड़े अपनी ओर।
कब तक रखोगे
ऐसे ही पास अपने
अब तो कर दो विदा
न जाने कब से कैद हूँ
तुम्हारी आँखों के
मयखाने में।
तो जीते जी कैद थी,
अब बस भी करो
न रोको यूँ मुझको
कर दो विदा मुझको
मुझे रिहाई का खौफ़ भी है
गम ए जुदाई सह नहीं
पाओगे तुम पर अब
बस मुझे यादों में बस जाने दो।
हाँ रहेगा इन्तज़ार मुझे
तुम्हारा दूसरी दुनिया के
पार भी पर इस जहाँ से
विदा करोगे तभी तो मिल
पायेंगे उस जहान में।
बहुत दिनों से बंद हूँ
कर दो इस पीतल के
बर्तन से आज़ाद मुझे
बह जाने दो मौजों की
रवानी में अस्थियों को मेरी।
हँसती आँखों से अलविदा कहो
वादा रहा की मिलेंगे हर जन्म
साथ तो छूटा अब हाथ
छूट जाने दो अब दे दो
मुझको विदा कब तक
रखोगे ऐसे ही पास अपने।