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लिप्सा

लिप्सा

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गुण अवगुण युक्त, मानव की प्रवृत्तियाँ 

लिप्सा धन का उकसाए, तुच्छ दुष्प्रवृत्तियां । 

क्षुब्ध मन का विलाप, और स्वार्थी कामनाएँ 

क्रोध बने विनाशक, नाश हुई कृतियाँ । 

व्यर्थ होता जीवन भी, स्वप्न हर जाता नैन 

पौधा बोये लालच का, ना भाए संस्कृतियाँ । 

रूप लावण्य मोह में, ध्वस्त होती है प्रकृति 

परित्रस्त जीवदशा, लुप्त होती वृत्तियाँ । 

बींध कर रक्त तीर, भीरु करे लक्ष्यसिद्ध 

विचार अमानवीय, धारी है विकृतियाँ । 

व्रत बनाया छल को, शास्त्र भुलाया तन को 

चित्त अशुद्ध गृह भी, अशुद्ध आवृत्तियाँ । 


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