Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Pawan Kumar

Others

3.0  

Pawan Kumar

Others

हालात

हालात

1 min
183


बिखरे थे टूट कर यूँ,

कि समेटे न जा सके

कैसी हवायें चली थी उस वक्त?

अतीत के पन्ने भी पलटे ना जा सके l


और ना कहर बरपाओ जुल्म होगा,

देखी है तेरी जुर्रत मुझसे परे होगा

कर दो मुकम्मल जहाँ मेरा,

अब तेरा हुक्म ही मेरा किरदार होगा l


Rate this content
Log in