बचपन
बचपन
क्यों हुए हम इतने बड़े
बचपन में ही थे हम भले
जैसा दिल चाहता वैसा करते
अपनो को हँसाए जैसा काम करते
आता है याद सबको बचपन अपना
भूल जाते पढ़ाई लेकिन नहीं भूलते खेलना
पढ़ाई की थी किसको फ़िक्र
जो चाहिये दिल खोल के करते उसका ज़िक्र
देखके मासूम चेहरे
दिल सबका पिघल जाता
लाड - प्यार से हमें इतना रखते
ज़मीन - आसमान एक हो जाता
दिल होता है नेक ओर साफ
नहीं होती नफ़रत होता है सिर्फ प्यार
बचपन में सबको बनाते दिलदार
नहीं थे दुश्मन बस थे हमारे यार
बचपन था हमारा प्यारा - प्यारा
बसा लिया मन में बनाके सुन्दर नज़ारा
हर पल आता है याद बचपन हमारा
कितना था रंगीन और कितना सुनहरा...!