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Meenakshi Sukumaran

Others

1.0  

Meenakshi Sukumaran

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मौन

मौन

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मुझे आज भी अच्छे  से याद है

अपनी माँ को वो

ख़ामोशी से मुस्कुरा देना  

चतुराई -से आंसू छुपा लेना 

बातों में बहला -फुसला लेना 

मेरे हर सवाल के अहवेज  में  

और मेरा जवाब पाकर रूठना 

उनका प्यार से मनाना

और मेरे  कोमल मन का विचलित ही रहना 

और सोचना कुछ तो है -

जो माँ कहकर भी कह नहीं पाती ………

मेरे सवाल फिर भी थमते

और  पूछते ही रहते

क्यों कुछ कहती नहीं

क्यों सहती हो दर्द इतना 

क्यों उठाती हो बोझ  अनमने रिश्तों का 

क्यों नहीं करती कभी अपने मन की

क्या है जो रोकता है आप को  …….

ऐसे ही जाने रोज़ कितने ही

अनकहे  ,अनबुझे ,अनमने सवाल 

और जवाब सिर्फ -मौन

आज फिर जैसे वक्त का घूमा पहिया है 

और फिर वही सवाल जिनका कोई जवाब नहीं होता  

लेकिन मानो  खुल रही कलह सवालों की 

जो मेरा बेटा  मुझ से करता है 

और मेरा जवाब होता है

मुस्कुराहट  या ख़ामोशी 

वो भी वैसे ही रूठता है 

झूंझलाता है ............सवाल वही हैं 

अब  जवाब में हूँ ........... मौन||

~~~~ मीनाक्षी सुकुमारन ~~~~      


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