दिल की बाते़
दिल की बाते़
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दिल की बातें
जो दिल में ही रह गई
ना अश्क बन के
नयनो से टपकी
ना अाह बन के
लबों से निकली
कुछ दिल की बातें
दिल में ही रह गई !
कहता भी किसे कोई ?
अपना - सा चेहरा नजर ना आया
मेरी खामोशियाँ भी कुछ कहती थी
कोई करीबी समझ ना पाया !
मेरे सिवा मेरा खुदा ही जानता है
क्या मैने है दिल में छुपाया ?
इस लिए जब कभी मायूस होता हूँ
तेरे दर की और रुख करता हूँ
बड़ा सुकून मिलता है
जब तेरी चौखट पे सर रखता हूँ...!