ज़िंदगी एक कहानी
ज़िंदगी एक कहानी
साँसों की यह लड़ी
घट रही घड़ी घड़ी
दूर कोलाहल में कहाँ पड़ी
हर पल कल कल बहती हर कड़ी
टक टक सी टक टक करती
ध्वनि आंहो में भरती
निरंतर चलती निरंतर दौड़ती
ज्ञान अज्ञान, समझ ध्यान, निंद्रा स्वप्न, खेल कूद
न इसको ध्यान
एक श्वास छोड़ना
एक लेना
यही इसका ज्ञान
प्रतिदिन पल पल बहती यह
समझ नहीं किसी प्राणी को यह
अंत समय लगती यह बलवान
विचार बनाते इसे महान
निरंतर बढ़ता विकर्षण
धू धू जलता आकर्षण
निरंतर घटती मानवता
और पलती दानवता
ज़िन्दगी का यह पतन
विचार भोजन और भवन
लड़ी पड़ी कमज़ोर
समय चलता लड़ी चलती
समय चलता लड़ी चलती
अंत लड़ी थक गई
और रुक गई
अब समय चलता लड़ी रुक गई
ज़िन्दगी की घडी रुक गई