बरसात आई
बरसात आई
काले बादल उमड़ पड़े हैं आसमान में
धरती की पुकार सुनी है आसमान ने।
नभ की छटाएँ देखकर,
आओ मगन हो जायें इस बरसात में।
मन मोरनी बनाकर नाच लें,
आओ इस बरसात में।
बच्चों के जीवन को देखो,
नहीं है उनमें बैर की भावना।
अन्तर नहीं छोटे-बड़े का,
स्वार्थ की भी नहीं कामना।
इन बच्चों सा आनंद उठा लें,
आओ इस बरसात में।
मन मोरनी बनाकर नाच लें,
आओ इस बरसात में।
बरस रही पानी की बूँदें,
सबकी प्यास बुझा जाती हैं।
सारे जीवों के चेहरे पर,
मीठी मुस्कान जो ले आती है।
सारे गम हम दूर भगा लें,
आओ इस बरसात में।
मन मोरनी बनाकर नाच लें,
आओ इस बरसात में।