स्वअस्तित्व की पहचान
स्वअस्तित्व की पहचान
किसका गम, क्यों है गम।
जिंदगी जिओ बिंदास।
यूँ रहो न उदास।
बनाओ नदियों-सा बहता जीवन,
रखो सूर्य-सा जगमगाता वैभव।
हर धड़कन को जी लो,
हर लम्हे को पी लो।
आगे बढ़ो,बस बढ़ो ,
और बढ़ते ही रहो।
परिंदों की भाँति
आसमान की नई उड़ान भर लो।
स्वअस्तित्व की पहचान कर लो।