बस तेरा साथ चाहिए
बस तेरा साथ चाहिए
चाहती हूँ साथ तेरा
कि एक और एक ग्यारह की तरह
संग रहो मेरे ऐसे
की महत्व मेरा बढ़ जाये
सुख में दुख में
जीवन के हर मोड़ पे
हाथ थाम लूँ तेरा
स्वार्थवश नहीं
प्यार में
की जीवन की डगर
बड़ी मुश्किल है
चलना ,सम्हलना भी
तन्हा मुश्किल है
तू जो साथ
न रहूँ मैं कभी उदास
अंकों की तरह तू
शून्य से मेरा वजूद है
तू जो साथ
तो हर शब्द में वजन है
वजह भी तू जीने की
इतना प्यार में हूँ मैं तेरे
हर सांस भी मेरी थम सी जाती है।
दूरी पल भी की
मैं अधूरी हो जाती हूँ
बस न आगे न पीछे
मेरे बाजू यूँ रहना
एक और एक ग्यारह की तरह।