यादों की धूप
यादों की धूप
चलो यादों की गुनगुनी धूप में
,मखमली हाथ सेंकते हैं,
चलो मन की बगिया में
यादों का गुलदस्ता सजाते हैं,
वो रात को रजाई में
बैठकर मूँगफलियाँ चुंग ना,
जोर का ठहाका बेबात ही लगाना,
याद कर उन बातों को
सूने लवों पर फिर मुस्कान लाते हैं,
वो गुड और तिल के लड्डू को
खाकर दिल का बाग-बाग होना,
यादों की मीठी चासनी को
मिलकर चलो फिर महसूस करते हैं '
वो एक रजाई में सब परिवार का
सिमट-सिमट कर साथ-साथ बैठना,
चलो आज फिर दिल में आईं
दूरियों की पारछाईयाँ मिटाते हैं!