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S Ram Verma

Abstract

5.0  

S Ram Verma

Abstract

एक नयी प्रेम कविता !

एक नयी प्रेम कविता !

1 min
600




लिखता हूँ मैं जब

अक्षर मेरे प्रेम के,

तेरी सुकोमल काया पर;


आहों और कराहों का

वो दौर ले जाता है मुझे,

मेरी ही उम्र के उस

तरुणाई वाले पड़ाव पर;


तुम करती हो प्रेरित

मुझे पार ले जाने को,

इस जहाँ से दूर और बहुत दूर;


रक्त का प्रवाह अपने

चरम पर होता है,

और सुकोमल तेरी काया पर;


मैं अपने प्रेम के अक्षर

लिखता ही चला जाता हूँ;


सियाही जब कलम

की उतर आती है,

तेरी काया पर तब

मैं ही अपने लिखे;



उन अक्षरो को पढ़ कर

तुम्ही पर ही लिखी,


मेरी एक नयी प्रेम

कविता तुम्हे ही एक बार; 

फिर सुनाता हूँ !




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