राजनीति
राजनीति
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कोई गुनाह किये बैठा
महज़, सत्ता हाथ लिए बैठा
कोई सत्य लिये बैठा
पर न्याय के लिये दरबदर फिरा
भ्रष्टाचार की दुनियां है,
किसी की छिपेगी
किसी की छपेगी
यह राजनीति है, ज़नाब
किसी की सगी तो किसी की
सौतेली रहेगी
सत्ता गर हाथ में न हो तो
कड़वाहट भी रखेगी
सत्ता गर हाथ में हो तो
मिश्री सी घुलेगी
यह राजनीति है, ज़नाब
कभी दुश्मन को अपना
कभी अपने को दुश्मन बनाएगी
यह राजनीति है, ज़नाब
कीचड़ में रहेगी तो
खुद को कमल बतायेगी।