एक अनुभूति
एक अनुभूति
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देखन, सुनन, मिलन की,
आस नहीं,
न अधीर हूँ सामीप्य को,
कोई क्षण, अनुभव या स्मृति नहीं,
सहेजने, सँभालने, पुलकाने को,
न ध्वनि, न शब्द
न खिलखिलाहट, न अश्रु निस्तब्ध,
एक अनुभूति,
एक कल्पना,
हर क्षण वही झंकार,
इस प्रेम के प्रमाण का परिमाण नहीं,
इस ओर से उस ओर,
केवल अदृश्य विस्तार।