Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ashish Aggarwal

Children

0.2  

Ashish Aggarwal

Children

गोदी की पालकी

गोदी की पालकी

1 min
21K


बचपन में तेरी उंगली पकड़कर चलना,

गोदी की पालकी में सुकून से पलना,

तेरी लोरी में चाँद तारों से मिलना,

तेरे दूर होते ही रोते-रोते आंखें मलना,

तेरे साथ वो हंसना, खेलना और उछलना।

 

ईक बगल में बस्ता, ईक में मुझे उठाना,

आंचल में समेटकर स्कूल छोड़ के आना,

धीरे से मुझे बचपन के नाम से बुलाना,

मेरे आंखों में आंसू देखकर घबरा जाना,

सीने से लगाकर मेरे सिर को सहलाना।

 

गोदी में बिठाकर मुंह में बुर्कियां डालना,

तरह-तरह के नुस्खों से मेरी नज़र उतारना,

रात को उठ-उठ मेरे ऊपर चादर डालना,

कहीं जाने से पहले मेरे बालों को संवारना,

सोते वक़्त मेरे पीने के लिए दूध उबालना।

 

मेरी यादों की तिजौरी में तेरा ही खज़ाना है,

तेरी पलकों का अब हर ईक आंसू चुराना है,

दुनिया में सबसे खुबसूरत तेरा अफ़साना है,

माँ, तेरे बताए राह पर अब चलते ही जाना है,

अशीश को तूं खुदा का दिया नायाब नज़राना है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children