बुढापा
बुढापा
वो हमेशा घर की चिंता करते हैं,
हर बात पर अपनी प्रतिक्रिया करते हैं,
इसलिए नहीं कि वो दखल करते हैं,
बल्कि इसलिए कि वो फिक्र करते हैं।
बेशक तुम खूब बड़े हो जाओ लेकिन,
वो आज भी तुम्हे बच्चा समझते हैं,
वो बाहर जाए तो तुम फिक्र न करो उनकी
तुम्हारे आने तक वो दरवाज़े पर ही नज़र रखते हैं,
वो बीमार हो तो तुम बस दवाई दे देते हो,
लेकिन तुम्हारी बीमारी पर वो नज़र भी उतारते हैं।
कितना अनुभव होता है ज़िन्दगी का उनको,
अनुभव की वो खुली किताब होते हैं,
बहुत खुश नसीब होती है वो चौखट
जहाँ बुजुर्गो के चेहरे हमेशा खिले रहते हैं।
बहुत सम्भालकर रखना इस जागीर को
ये अपने आप मे नायाब होती है।
कुछ सनक भी होती है इनके अंदर
फिर दिल के ये मासूम होते हैं।