मधुशाला १
मधुशाला १
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प्याले सारे टूट गए
मधुघट भी सब फुट गए
तू जो छोड़ गयी मधुशाला
पीने वाले सब रूठ गए, तुझसी
कोई और न मिली साकी-बाला
तेरी राह तकती देख, कबसे
खाली पड़ी मेरी मधुशाला ।