घड़ी
घड़ी
1 min
414
घड़ी धर्म-जाति भेद नहीं करती
जैसे इंसानों का बहता रक्त नहीं करता,
घड़ी शुभ दिशा-लक्ष्य पहुँचने को बताती
समय-चक्र को ये सही पहचान बताती,
सुबह उठने की मीठी धुन सुनाती
टिक-टिक थपकियों की लोरी सुनाती।
जन्म-मृत्यु के पलों को ये गिनाती
प्यार के इजहार को इंतजार में दर्ज कराती,
जल-थल-नभ के ऊँचे सपने सजाती
समय की असल में पहचान कराती,
हर कलाइयों को सुन्दर बनाती
जीत-हार के फैसले सुनाती।
हाय, ये घड़ियाँ क्यों दिल धड़काती,
बीती यादों को ये घड़ी-घड़ी सताती।