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Shweta Chaturvedi

Inspirational

5.0  

Shweta Chaturvedi

Inspirational

मुझे जाने दे, देश राग गाने दे

मुझे जाने दे, देश राग गाने दे

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एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम


“माँ! मुझे जाने दे.. देश राग गाने दे …”


अब की दिवाली

वो घर नहीं आएगा

कह कर गया था,

दिवाली तो मैं भी मनाऊँगा

ज़रूरत पड़ी तो ख़ुद ही

दीपक सा जल जाऊँगा।

नाम रोशन करूँगा अपने वतन का

बारूदों की धमक,

गोलियों की तेज गूँज,

उसने तो सरहद पर ही

दिवाली मना ली होगी......


माँ से बोला था,

तू मुझे घर का चराग कहती है ना

अब वक्त आ गया है

कि घर के आले में रखे दीपक की रौशनी

सिर्फ एक चौखट तक न रहे,

ये वतन ही मेरा घर है

वक्त है, वतन में उजाला फ़ैलाने का

जलना उस दम तक,

जब तक ये रौशनी

अमन न हो जाये।।

माँ, अपने हर बेटे, बेटी को दीपक बन जल जाने दे,

मुझे जाने दे… देश राग गाने दे..


अब की तो वो

होली पर भी घर नहीं आएगा,

कह कर गया था

मेरे लहू की रंगत से

अपने वतन में खुशियों के रंग भर दूंगा

ये धरती माँ,

जो कब से जूझ रही है

द्वेष और आतंकवाद के राक्षसों से

अब अमन के फूल उपजाएगी...

अपने बेटे को ख़ुशियों के बीज बिखराने दे

मुझे जाने दे… देश राग गाने दे..


सरहद पर ही खेली होगी

उसने खून की होली।

बोला था अपनी पत्नी से

तू भरती है अपनी मांग में

मेरी लंबी उम्र का लाल सिन्दूर,

इस लाली को तू सिर्फ

इस माथे तक न रह जाने दे,

अब वक्त आ गया है

इस लालिमा को वतन पर लुटाने का

मेरे लाल लहू से तू होने दे अपना सुहाग अमर

मुझे वतन की खुशियां लौटने दे...

मुझे जाने दे… देश राग गाने दे..


बहिन, तू बाँधती है ना

मेरी कलायी पर

रेशम की डोर से वचन की राखी

कि ये भाई तेरी रक्षा करेगा

तुझे हर परेशानी से बचाएगा,

ये वचन मुझे हर बहिन के लिए निभाने दे

चल सके मेरी हर बहिन सर उठा कर,

बिना किसी डर के, बिना किसी ख़ौफ़ के

हर किसी के मन से

उस डर के रावण को मिटाने दे

मुझे जाने दे… देश राग गाने दे..





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