सकारात्मक क्रांति
सकारात्मक क्रांति
ऐसा नहीं है कि हर
जीत के सूरमा हैं हम
पर बचपन से देखा है
हर हाल में जिन्दा रहना
जिन्दादिली है
सुख-दुख, ऊँच-निच
जीवन के पहलू हैं
सुख में खुशी
दुख में उम्मीद
सबकुछ ठीक हो जायेगा
सिखा दिया पिताजी नें और
माँ ने बचपन में
काली रात के बाद
रौशनी की सूरज उगेगी
अन्धेरा भाग जाएगा
वो जानते थे
जीवन अनिश्चिताओं से
भरा होता है
राह में कभी फूल
तो कभी काटें मिलेंगे
जो सिखाया वो
उतार लिया जीवन में
गुरु नानक जी ने भी कहा है
प्रभु
तेरा बाणा मिठठा लागे
#positive india