तू मुझमें बाकी रह गया
तू मुझमें बाकी रह गया
आँखों की नर्मियों से एक सिसक थी बाकी
आपकी मुस्कुराहट की एक झलक थी बाकी
कैसे कह देते दूरियों से लिपटे रहने को
अजब दर्द की अभी कराह थी बाकी
गुमसुम दिल की बात थी बाकी
आपके एहसासों की बारात थी बाकी
किस्मत से कोई मजबूर नहीं थे हम
आपके होने का आगाज़ था बाकी
रग रग में समां लिया जो मैंने आपको
लतपथ यादों से लिपटे हुए थे जो हम
उन हर पलों का आयाम था बाकी
सिमटे हुए थे जो आपकी बाहों में
उन लम्हों का हर किरदार था बाकी
आपसे मोहब्ब्त की जो हमने
उन रश्मों कसमों का निदान था बाकी
आँखों की नर्मियों से एक सिसक थी बाकी
आपकी मुस्कुराहट की एक झलक थी बाकी।।