जीवन का सच
जीवन का सच
ऐ पंछी तू उड़जा दूर गगन में
तेरा कोई नहीं इस चमन में
मतलब के सब संगी साथी थे तेरे
जाने पर भी तुझको किसी ने आवाज़ ना दी
सब पंछी तो उड़ गए
तू अकेला रह गया इस वन में
तेरा कोई नहीं इस चमन में !
देख यहाँ फरियाद ना करना
कौन सुनेगा फरियाद तेरी ?
ज़ुल्म की आंधी में दबके रह जाएगी आवाज़ तेरी
तेरे जाने के बाद ना आएगी किसी को याद तेरी
बस आंसू तू ले जा अंखियन में
तेरा कोई नहीं इस चमन में !
तू अकेला नहीं इस दुनियां में
और भी कितने अकेले हैं
तेरी तरह उन्होंने भी कितने दुःख झेले हैं
कर ले उनसे दोस्ती, उड़ जा किसी और गुलशन में
तेरा कोई नहीं इस चमन में !