कलम की ताकत
कलम की ताकत
जब धुंधला हो गया मेरा अपना साया,
तब जाकर मैंने ये कलम उठाया।
जिंदगी की तस्वीर में कुछ सच दिखता है,
यहाँ तो इंसान के हाथों इंसान बिकता है।
भावनाओं में बहके हार जाते हैं लोग,
हार और जीत का सभी को लगा है रोग।
पर कलम की ताकत ने कितनों को हराया,
इसलिए इस बार मैंने ये कलम उठाया।
मेरे लिए लिखने की प्रेरणा मैं खुद हूँ,
ढूंढ रही हूँ मैं आखिर मैं कैसी वजूद हूँ।
मेरा हर एक काम मेरी इबादत है,
इस कलम में कोई रहस्यमयी ताकत है।
इस ताकत ने मुझे एक नया सपना दिखाया,
एक इसी सपने की खातिर मैंने कलम उठाया।
इस कलम से जाने कितनों का इतिहास लिखा है,
आने वाले अनगिनत भविष्य का राज छिपा है।
इसी कलम ने वेदों पुराणों का पाठ लिखवाया,
और इसलिए मैनें ये कलम उठाया।