सिलसिला
सिलसिला
ना ही किसी को जानते है
ना ही किसी को पहचानते है
हो जाती है सब से दोस्ती
अपने से सब लगने लगते है
दूर है सब कोई पास नहीं
फिर भी लगते करीब करीब है
नहीं ये रिश्ता दिलो का
ये बन्धन तो है रूहो का
सब की खुशी में हंस लेते है
सब के गमो में रो लेते है
सब से रूठ जाते है कभी
सब के करीब फिर हो जाते है
कोई प्रेरणा बन कर बस गया
मेरे दिल मे
और लिखने का हुनर सीखा गया
हम भी दिल की बाते लिखते है
और शायद किसी की प्रेरणा बन जाए
और वो भी लिखने को प्रेरित हो जाये
ये सिलसिला यू ही चलता रहे
चलते रहे ये कोशिश है हमारी