Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Amit Singh

Others

2.7  

Amit Singh

Others

ओह बदरिया !

ओह बदरिया !

1 min
14.4K


ओह बदरिया, मुझे भी ले चल अपने संग !

ये झूठ का जीना पसंद नहीं आ रहा,

ये सूरज की चमक, ये चाँद की महक सजा सी रही है लग !

ओह बदरिया, मुझे भी ले चल अपने संग !


बचपन का रंग लगा बेरंग,जवानी बेअदब लगी मुझे,

लोग जो थे संग, सब खुद ही खुद में मलंग लगे मुझे !

ओह बदरिया, मुझे भी ले चल अपने संग !


देख ना वो पल, कितना सताने लगा है,

खुद के मकाम में, खोया समा ढूंढ़ने लगा मैं !

ओह बदरिया, मुझे भी ले चल अपने संग !


नहीं लोभता मुझे ये चुप्पी साधे भोर, पहर और तीख़ी दोपहर,

और ख्वाब बुनते हुए ये काली कलूटी रात का जहर !

बदरिया तू आजा ना, एक खुली-लंबी चादर लेकर,

जिसमें तुम मेरी अनकही,अधपकी चाह को समेट लो ।

और मैं सारे रिश्ते से नज़र छुपाकर,

अपने जान के कर्ज़दारों से बच बचाकर,

चल तू अब तेरे संग, चल दूँ, अब बस तेरे संग !!

ओह बदरिया, मुझे भी ले चल अपने संग !


Rate this content
Log in