प्यार है बेमोल
प्यार है बेमोल
यह कैसी है हवा चली
गूँज है गली गली
क्यों इतनी है उदासी
रो रही है प्रकृति भी,
प्यार की पुकार का
कम हुआ आकार
नशा है दौलत का
बाक़ी सब बेकार
रिश्तों में है दम नहीं
सब तरफ दिखावा
पहने हुए हैं मुखौटे
अंदर भारी निराशा
ख़त्म हुआ है एहसास
वक्त नहीं है किसी के पास
निकल जाती है ज़िन्दगी
करते रहते हैं तलाश
दूर का दिखता सुहाना
कम लगता, जो है पास
अरे प्यार को समझो यारों
अलग इसकी पहचान
खुल के ज़िन्दगी जी लो
पल दो पल की है मेहमान
प्यार का कोई मोल नहीं
है सबसे अनमोल
जितना बांटो उतना बड़े
है यह सबसे अनमोल