पैसा
पैसा
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ज़िंदगी भर भागता गया
वो उस पैसे के पीछे
जो उसका था
उसी को पाने की
चाह लिए भागता गया...
परिवार को दुत्कारा
माँ बाप को फटकारा..
लालसा सोनिया, वो पैसा पैसा,
ना घर दिखा, ना समाज
ना दिखा ख़ुद के
लिए खुदा शमशान ,
पैसा भागा
वो पीछे भागा
बस भागता गया
गिरा ज़मीन में
खुद गया, सिमट गया
वो ख़ाक में, ज़मीन में
पैसा वहीं का वहीं
लटका रहा
अब ढूँढ रहा
दूसरा लालची बकरा प्यारा
इंसान तो अंत मे हार गया
मगर पैसा आज भी ...
ना हारा
पैसा आज भी ना हारा
वो जीत रहा
वो हँस रहा
कलयुगी मायाजाल में फँसा
वो सबको,
हँस रहा ।।।