माँ की गोद में
माँ की गोद में
मैं माँ की गोद में सर रख देता वो हाथ सर पे मेरे फिराती है,
एक राज कुमारी की कहानी माँ रोज़ मुझे सुनाती है।
क्या सर्दी, क्या गर्मी, सूरज के उगने से पहले माँ मेरी जग जाती है,
झाड़ू पोछा बर्तन कर माँ सबसे पहले नहाती है।
मैं सोया रहता अपने सपनों की दुनिया में खोया रहता,
मेरा माथा चूमकर माँ मुझे प्यार से जगाती है।
मैं माँ की गोद में सर रख देता वो हाथ सर पे मेरे फिराती है,
एक राज कुमारी की कहानी माँ रोज़ मुझे सुनाती है।
घर के सारे काम करती एक पल को न आराम करती,
सबके ज़रूरत को पूरा करती दर्द का कभी न नाम करती,
न जाने क्या कला है न जाने क्या जादू चलाती है,
अकेले माँ मेरी अलग अलग किरदार निभाती है।
छोटी-छोटी बातों से कभी-कभी घबराती है,
ज़रा सी तकलीफ मुझे हुईं नहीं और दर्द मेंं खुद आ जाती है।
बीमार जब जब मैं होता, रात मेरे सिरहाने जग कर बिताती है।
मानो धूप मेंं जैसे छाता और बारिश मेंं होती बरसाती है,
माँ मेरे लिए एक सुरक्षा कवच सी बन जाती है।
मैं माँ की गोद में सर रख देता वो हाथ सर पे मेरे फिराती है,
एक राज कुमारी की कहानी माँ रोज़ मुझे सुनाती है।
कभी जो मैं नादानी करता माँ मुझे समझाती है,
फिर भी अगर होशियारी करता तो खूब डांट लगाती है।
मैं नाराज़ होता हूँ जब तो माँ मुझे लाड़ से मनाती है,
अच्छाई की राह पे चलना, सच्चाई का साथ न छोड़ना,
महापुरुषों की बाते सिखाती है।
कभी मुझे जो भूख ज्यादा लगती,
अपने हिस्से की रोटी भी मुझे खिलाती है ,
मेरी भूख मिटाकर माँ खुद भूखे सो जाती है।
माँ के पास प्यार खजाना है कोई शायद जो वो इतना प्यार लुटाती है
मैं माँ की गोद में सर रख देता वो हाथ सर पे मेंंरे फिराती है,
एक राज कुमारी की कहानी माँ रोज़ मुझे सुनाती है।
किताबो से दूर रही थी शायद किसी बात से मजबूर रही थी,
पर न जाने माँ सब कैसे समझ जाती है,
कभी कोई बात छिपाना चाहू भी तो छिप नहीं पाती है।
मैं अक्सर ये पूछता हूं हैरान होकर
पढ़ना लिखना नहीं आता तुझे माँ,
फिर तू कैसे मेरे चेहरे को पढ़ पाती है ?
गम दूर कर मेरा तू
कैसे मेरे होंठो पर हंसी लिख जाती है ?
सुन कर मेरी बात माँ बस मंद मुस्काती है ,
मन सुकून भरता जब माँ मुझे सीने से लगाती है।
मैं माँ की गोद में सर रख देता वो हाथ सर पे मेरे फिराती है,
एक राज कुमारी की कहानी माँ रोज मुझे सुनाती है।
माँ तो ममता की मूरत है माँ मेरी अनमोल ज़रूरत है,
माँ के होने से कोई गम पास नहीं,
माँ न हो तो कोई खुशी खास नहीं।
माँ की महिमा को भगवान ने भी माना है ,
मैने तो माँ मेंं ही भगवान को जाना है।
माँ हर घर को पावन और खुशहाल बनाती है,
माँ के आशीर्वाद से ज़िंदगी सफल हो जाती है।
मैं माँ की गोद में सर रख देता वो हाथ सर पे मेरे फिराती है,
एक राज कुमारी की कहानी माँ रोज मुझे सुनाती है।