दिखता नहीं असर
दिखता नहीं असर
राहें वही हैं पर अब भी,
तेरी आमद कहाँ है,
दिखता नहीं असर,
कुछ मुझको फ़रियाद में।
जाने कि ये अय्यार है,
या दीवाना है कोई,
परिंदा एक खंदा है,
हल्क़ा-ए-सैय्याद में।
मेरे इंतज़ार में हैं जो,
मौत की राह-ए-मिज़ग़ां,
अभी तो शब-ए-वस्ल है,
कह दो कि बाद में।
ख़बर की क्या ग़रज़ हमें,
ख़ुश्बू से जान लें,
ख़त जो भेजते हैं वो,
क़ासिद के हाथ में।
अभी तुमसे हाल-ए-दिल,
का बाक़ी है बयाँ,
अभी जाओगे तो,
जाएगी ये जाँ साथ में।
वो मिलते हैं "शौक़",
गोया सितमग़र नहीं,
नज़रे पुर-ग़िला हैं,
शिकायत है बात में।
रोने की इजाज़त,
न तौफ़ीक़ मुस्कुराने की,
क्या हो ग़ुज़र दीदा-ए-हज़ीं,
का इन हालत में।
दिखता है उजड़ा गुलशन,
हर आमद-ए-बहार में,
अपनी लगती हैं धड़कनें,
हर दिल-ए-बर्बाद में।
जाने वो फिर क्यों,
मिला करते हैं मुझसे ख़ुदाया,
पैग़ाम-ए-तर्क़-ए-उल्फ़त,
देते हैं हर मुलाक़ात में।