कर सको तो...
कर सको तो...
किताबों के ज़र्द पन्नों के बीच
एक गुलाब आज भी रखा है,
जिसकी ख़ुशबू आज भी
सिर्फ़ मेरे लिऐ है,
चुरा सको, तो चुरा लो!
लाईनों वाले पन्ने पर लिखा वो ख़त,
उसका एक-एक लफ्ज़
ज़िन्दा है आज भी,
बस मेरे ही लिऐ,
मिटा सको,तो मिटा दो!
सफ़ेद चादर की सलवटों में
आज भी तेरी गरमाईश
कुछ अंदर तक जज़्ब है,
हाँ मेरे लिऐ,
बर्फ़ कर सको,तो कर लो!
आज भी मेरे हाथों में हैं
ख़ुशबू तुम्हारे बदन की,
कितना भी तुम चाह लो,
चाहे मनुहार कर लो,
नहींं तोड़ सकती तुमसे,
बंधन अपने तन और मन की।
हर तरफ तेरी यादें हैं,
हर कोने में तेरे वादें,
आँखों में तेरी सूरत,
मन मंदिर में तेरी मूरत,
मिटा ना सकेगा कोई कभी
ये छबि मेरे यार की।
गुलाबी चुनरी मेंं
आज भी बँधे रखे
हैं,कुछ तेरे मुस्कान,
जिला रहा है नर्म
गुलाबी प्यार तेरा
जो बन गई,अब मेरी जान।
अहसास तुम्हारी उँगलियों की
कराता अब भी,मेरे कानों की बाली का मोती,
चूड़ियों की खनखन करे
बातें हरदम बस तेरी,
पायल की झंकार
भी बस,नाम तेरा ही ले बार-बार।
पुरानी तस्वीरें चमकने लगतीं
सूरज की रेशमी किरणों में,
आस की प्यास जगा जाती
हरजाई,दीदार को तेरे,
लहू का दौरा भी मेरा
पहुँच रहा दिल तक तेरे।
फूलों में भी रंग छिड़के हैं
देखो,हम दोनोंं के प्यार के,
तितलियाँ भी उड़ती फिरतीं,
हरियाली में तुझको ढूँढ़ती,
ख़ुशबू के तेरे पीछा करती,
बदहवास सी भागती रहती।
रात के साये में
तेरे सीने में शरमाकर मुँह छुपाना,
तेरे सुलगते होठों का,मेरे माथे को चूमना,
आज भी सुलगा रहा है मुझे,
बुझा सको,तो बुझा दो!
रात के स्याह आँचल से ,
कुछ यादों के सितारे हैं बँधे,
चमचमाते,ठिठोली करते,
मेरे स्मृति की हमजोली ये,
तोड़ सको,तो तोड़ लो!
इन यादों में तुम ही तुम हो,
आँखों में बस, तुम बसे हो,
ये तन और मन कभी के हुऐ तुम्हारे,
ये हाथ भी कब से थमाये, हाथों में तुम्हारे ,
दामन को मेरे तुम ,झटक सको,तो झटक दो!!
©मधुमिता