साहिब
साहिब
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इक तेरा ही आसरा साहिब
मुझसे होना न तुम जुदा साहिब
सजदे में सर झुका के रखा है
दर्दे-दिल की हो तुम दवा साहिब
मौसमे-हिजरां गुज़र ही जाएगा
क्यों हुए आप ग़मज़दा साहिब
आप को देख कर ख़ुमार आये
ये आँखें हैं या मयकदा साहिब
एक तुम से ही थी मेरी निस्बत
तुम भी रहने लगे ख़फ़ा साहिब