तुम ही तुम
तुम ही तुम
फ़िर तेरी कहानी याद आयी,
आज फ़िर एक रात ढल गई
आज तो उस बेपरवाह चांद ने भी रुख़ मोड़ लिया
उन हसीं समंदरों का।
ऐब तो बेशक थे,
पर दिलकश भी हम कुछ कम नहीं थे...।
फ़िर तेरी कहानी याद आयी,
आज फ़िर एक रात ढल गई
आज तो उस बेपरवाह चांद ने भी रुख़ मोड़ लिया
उन हसीं समंदरों का।
ऐब तो बेशक थे,
पर दिलकश भी हम कुछ कम नहीं थे...।