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वो और कोई नहीं वो नारी होती है

वो और कोई नहीं वो नारी होती है

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ममता जग की सारी तुझसे, सौंदर्य की हर वाणी तुझसे

तेरे बारे में क्या लिखूं , लिखी मेरी भी कहानी तुझसे।

प्यार दिया दुलार दिया, कभी ममता से पुचकार दिया

मां का किरदार निभाकर, मेरा कोरा सा जीवन सँवार दिया

मैं बार-बार गिर जाता था, तू हार कभी ना मानती थी

मैं खुद को कभी अकेला कह दूं, तू दुनिया मेरी बन जाती थी

सारी दास्तान की शुरुआत तो तुझसे ही होती है

मांँ कहलाने वाली वो और कोई नहीं वो नारी ही तो होती है।

कभी अपनी उंगली पकड़कर, तो कभी अपनी आंखों से दुनिया दिखा देती है

बहन बनकर धरती का सबसे खूबसूरत रिश्ता तू निभा देती है

शरारतें मेरी, डांट तू खा लेती है, भाई पर आने वाली हर

मुश्किल तुझ तक ही रह जाती है

जिंदगी के हर धूप में मैं आज सर उठा कर निकल जाता हूं

विश्वास मेरा कभी कम नहीं होता हर बार तेरी ही छाया पाता हूं

भाई की शानो-शौकत एक तू ही तो होती है

कलाई सजा देने वाली वो और कोई नहीं वो नारी ही तो होती है।

जिंदगी के नाव पे, बीच में ही कोई अजनबी आ जाती है

मेरे घर को खुशियों से सजा कर, नाव को किनारों तक ले जाती है

टाई बेल्ट से लेकर टिफिन तक, वो हाथों में पकड़ा देती है

अपना घर छोड़कर, मेरे घर को हर शिद्दत से सजा देती है

हमें अपना बना कर जीवनसाथी बनने को तैयार होती है

दो घरों को सजाने वाली वो और कोई नहीं वो नारी ही होती है

कभी कल्पना बनकर, तो कभी सिंधु बनकर

देश के तिरंगे को वो नया आसमां दे जाती है

कभी मनुशी बनकर, तो कभी नीरजा बनकर

अपने आप को हर मैदान में सफल वो दिखलाती है

अशोक चक्र को खुद पर गर्व करवाने वाली तू ही तो होती है

देश को रौशन करने वाली वो और कोई नहीं वो नारी ही होती है

लेकिन जब भी मैं घर से बाहर आता हूं

क्यूँ नारी को ही मैं हारा हुआ पाता हूं

आज महान किस्सों में नहीं

क्यूँ नारी को गालियों में ही याद किया जाता है

उन बेटियों का क्या कसूर है ये सवाल मुझे हर रोज़ सताता है

ऐसा सिर्फ मेरे भारत में ही क्यों हो जाता है

चार लड़कों के बीच खड़ी लड़की को अप शब्द क्यों कहा जाता है

"ना" बोल देने वाली उस बेटी पर क्यों एसिड फेंका जाता है

क्यों उसके ही सपनों को हर रात दफनाया जाता है

ना कोई कमी है उनमें, हर फर्ज निभाना आता है

यह मान लो आज यारों, केवल दाढ़ी-मूछों से कोई महान नहीं बन जाता है

लेकिन वक्त को हम सब अब मिल कर के ही बदलेंगे

नारी के पंखों को अब हम खुल कर के उड़ने देंगे

उनके सपनों को भी हम अब प्यारी सी आंखे देंगे भारत ऐसा बनाएँगे,

कि तुझे बिल्कुल निडर होकर चलने वाले रास्ते देंगे।


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