मेरी नाव
मेरी नाव
आज चली है तूफ़ानों में मेरी नाव
लहरों संग उठती गिरती मेरी नाव।
चक्रवात हो या प्रतिचक्रवात
कभी ना डरती मेरी नाव।
आज चली है तूफ़ानों में मेरी नाव
सिंधु ने जब जब बदली अपनी भाषा।
विध्वंस मचाती लहरें और बिफरता आकाश
ह्रदय में प्रेम लिए चलती जाती मेरी नाव।
जब तक है जीवन का स्पंदन
और ह्रदय में प्रेम निवेदन।
लहरों के गीतों में स्वर मिलाती
तूफ़ानों संग लड़ती जाती मेरी नाव।
आज चली है तूफ़ानों में मेरी नाव।।