पिता
पिता
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मैँ पिता हूँ, बेहद मजबूत हूँ
पर, जब बिटिया चली जाती है न घर से
मैं टूट जाता हूँ
ज्यादा कपड़े नहीं हैं मेरे पास
पुराने ख्याल का हूँ
पर
जब तुम्हें देखता हूँ ना नए कपड़ो में
मैं खिल जाता हूँ
फोन पर ज्यादा बात नहीं करता तुमसे
हॉस्टल भेज दिया तुम्हें
पर
जब माँ से बात करते हो न तुम
सब सुनता हूँ पास खड़े होकर
मन भर आता आता है, पर
रो नहीं सकता मैं
बहुत टोकता हूँ तुम्हें
मन मर्ज़ी नहीं करने देता पर
तुम्हें पता नहीं है शायद
कितनी बार तुम्हारे लिए मैं लड़ आया हूँ
रात को मन करता है तुमसे बातें करने का
लेकिन कमरा बंद रहता है तुम्हारा
मैं देखकर लौट जाता हूँ
पर
फिर उस रात नींद भी नहीं आती
कभी बहुत मन करता है रो दूं
बिखर जाऊं
रुक जाऊं
बहुत थक गया हूँ
पर नहीं रुक सकता मैं
नहीं थक सकता मैं
क्योंकि मैं पिता हूँ