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Sana K S

Others

2.1  

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भूख....

भूख....

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दुनिया में आते ही वो रोया,माँ ने उठाकर दूध पिलाया,

उसे क्या पता, भूख क्या होती हैं....

 

पहला कदम जब रखा,सुन कहानी चिड़ियाँ की पहला कौर को खाया,

उसे क्या पता, भूख क्या होती हैं....

 

छोटी -सी बात पर घर पर रूठा,माँ ने बना हलवा पूरी खिलाया,

उसे क्या पता, भूख क्या होती....

.

भूख को समझना हैं तो, भूखा रहकर ना देखो,

भूख को समझना हैं तो,भूखा बनकर देखो....

.

वो खूब समझता हैं भूख को, तभी तो झूठे पत्तल को भी,

कुकुर संग मिल-बाँट के खाता....

 

वो खूब परखता हैं भूख को तभी कड़ी धूप में,

नन्हें से हाथों को परिवार का छत बना पाता....

 

भूख बस उसकी होती हैं,अपनी तो बस आदत होती हैं....

.

भूख तो मेरे समझ के परे हैं,फिर भी बस इतना हैं कहना....

""" बहुत हमदर्दी थी दिल में मेरे,  देख के उस बच्चे की खाली कटोरी को,

पर उसके खाली पेट के लिए, रोटी देने की नीयत ना थी,

बोलो भला वो भूखों न मरता तो क्या करता """.....

.

#सना

 


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