वायलिन
वायलिन
मेरे वायलिन की टूटी हुई बॉ अक्सर पूछती है मुझसे
ये क्या हो गया है तुमको
ये क्या कर रहे हो आजकल
मेरे षड़ज, मध्यम और पंचम बिखरे पड़े है
और तुम हो कि पढ़ रहे हो
बाबर,हेमू,अकबर की लड़ाइयां
खिलजी का प्यार
कभी सीओबी कभी ईओडी
कभी एटीएम के डिस्प्यूट
कभी आरटीजीएस की चिंता
तुम्हे कभी आरडीएनए टेक्नोलॉजी सोने नहीं देती
और कभी तुम जाग जाते हो
फकत ट्रिजनोमेट्री के लिए
याद करो आखिरी बार तुमने कब गुनगुनाया था
याद करो तुमने कब लिखा था कुछ भी
देख कर ताज गधो के सर पे
ये कैसी शिकन तैरती है तुम्हारे माथे
बेरुखी की इम्तिहां है ये की
मैं टूटी हुई हूँ और तुम
न दिखाते हो मुझे और न सहलाते कभी भी
सुनो ! एक रोज़ मर जाआगे
खत्म करके हज़ारो चाहते खुद के दिल में
किसी के ख़्वाब,
किसी की उम्मीद,
किसी की चाहत
तुम्हारे सांसो में घुलती जा रही है ज़हर की मानिंद
कभी तुम चूमते थे मुझको
बस इसी की खातिर
मेरी गुज़ारिश है कि इक बार
फिर से जी के देख लो तुम
सुना होगा कभी तुमने
मगर मैं फिर से कहती हूँ
ज़माने की रोशनी के लिए
समझदार खुद की झोपड़ी नहीं जलाते...!