Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

बाढ़ के बाद

बाढ़ के बाद

1 min
7.1K


धुली-धुली सी मिलीं सड़कें 
पेड़ अधटूटे मिले।

किनारे कांप रहे हैं नदी के,
झोपड़ियाँ जैसे अपनी अस्मिता लुटा 
चुकी हैं, 
बह चुके बर्तनों का हिसाब लगाकर 
रो रहे हैं मज़दूर।

बाढ़ आई थी 
ले गई अपने साथ 
कई लोगों की खुशियाँ

डूबी रही इतने दिनों तक
भगवान की मूरत भी।


Rate this content
Log in