Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

प्रतिक्षीत तुम आओ तो सही

प्रतिक्षीत तुम आओ तो सही

1 min
523


परछाई किसकी ह्रदय में

आवाज़ दो आओ तो सही

ज़िंदा है अभी वजूद मेरा

मैं चिरप्रतिक्षीत हूँ तेरी

तुम अमर प्रतिक्षा हो मेरी।


कशमकश की रात चीरकर

कभी मुझसे मिलने, देखने

एक बार तुम आओ तो सही..!


निस्पंद से दिल में छुपे

प्रतिबिंब उजागर हो कभी

मैं तृषित चातक उर छिपाए,


बुलबुले नहीं मिलन के

नैनन में बसा लूँ

रूह में छुपा लूँ

अंग लगा लूँ, प्यास बुझाने

एक बार तुम आओ तो सही..!


तृप्ति प्याले खाली पड़े

छलका दो कोई बिंदु अमोल

चाह मेरी मृदु ऊँगलियों की

छूके महका दो मुझे।


स्वप्न सी सजी नगरी मेरी

राह सूनी चितचोर

सजे राह कुछ झिलमिलाती

एक बार तुम आओ तो सही..!


अँखियन कटोरी छलक रही

नीत बरसे भादों सजल से

मेरी उर्मियों मे झुलता

तेरे दर्श का ये अभाव है।


मैं ओर कोई हूँ नहीं

जो छेड़ी तूने वो झंकार हूँ

एक झलक पाए बिना तेरी

मैं विलीन होना जाऊँ कहीं।


तन साँस छोड़े उसके पहले

एक बार तुम आओ तो सही।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance