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मिली साहा

Abstract

4.9  

मिली साहा

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बेटियां

बेटियां

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मां- बाबुल की शान होती हैं बेटियां,

हर घर का मान होती हैं बेटियां,

उदासी और हर तकलीफ में,

चेहरे पर मुस्कान लाती हैं बेटियां।


आंगन की फुलवारी होती हैं बेटियां,

हर घर की किलकारी होती हैं बेटियां,

होठों पर प्यारी सी मुस्कान लिए,

सचमुच हर घर की जान होती हैं बेटियां।


श्रद्धा और विश्वास होती हैं बेटियां,

सबके मन की आस होती हैं बेटियां,

कभी धूप के समान गुनगुनाती,

तो कभी शीतल छांव होती हैं बेटियां।


घर घर की चहल-पहल होती हैं बेटियां,

जीवन में खिलता कमल होती हैं बेटियां,

शिक्षा, गुण और संस्कार से संपन्न,

किसी बेटे से कम नहीं होती है बेटियां।


पापा की लाडली परी होती हैं बेटियां,

हर मां की सहेली होती हैं बेटियां,

अपने पायल की मृदुल झंकार से,

हर घर- आंगन में चहचहाती हैं बेटियां।


जीवन का मधुर संगीत होती हैं बेटियां,

दो- दो कुल को चलाती हैं बेटियां,

नए रिश्तो में आसानी से ढल जाती,

त्याग और समर्पण सिखाती हैं बेटियां‌।


भाई की राखी की डोर होती हैं बेटियां,

हर पिता का गुमान होती हैं बेटियां,

सौभाग्य से प्राप्त होती हैं बेटियां,

भगवान का आशीर्वाद होती हैं बेटियां।


एक प्यारी सी मुस्कान होती हैं बेटियां,

खुशियों की सौगात लाती हैं बेटियां,

रौशन हरपल उस घर को करती है,

जिसके घर जीवन में होती है बेटियां।


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