Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

बचपन के वो दिन

बचपन के वो दिन

1 min
849


जीवन के इस पड़ाव में जब बचपन के दिन याद आते हैं,

चेहरे पे मुस्कान और आँखों में खुशी के आँसू भर जाते हैं !


सुबह पापा के साथ सैर को जाते थे,

वहीं दातुन करते, ताज़ी हवा खाते थे !


कंचे, गुल्ली-डंडा और पिठु खेलते थे,

कभी कुश्ती करते, कभी दंड पेलते थे !


पाँच पैसे में पाँच संतरे की गोली आ जाती थी,

दस पैसे वाली खट्टी इमली भी बहुत भाती थी !


गर्मी में छत पर पानी छिड़का करते थे,

भाई बहनों से टॉफी, खिलौने के लिए लड़ते थे !


कोई टेन्शन नहीं थी, अपनी मर्ज़ी से पढ़ते थे,

फिर भी क्लास में फर्स्ट आया करते थे !


शुरू में टीवी पर जब कुछ भी नहीं आता था,

कभी कभी कृषि दर्शन भी मन बहला जाता था !


बान की रस्सी से चारपाई हम बुनते थे,

दादी और नानी से कहानियाँ सुनते थे !


अपनी लंबाई को हाथों से मिन्ते थे,

छत पर जब सोते थे, तारों को गिनते थे !


दूध मलाई, मम्मी पापा खूब हमें खिलाते थे,

चुपके से कभी उसकी आइस्क्रीम जमाते थे !


जिस दिन किसी बात को लेकर हम रोते थे,

मम्मी के मनाने के बाद ही हम सोते थे !


देखने में पतले थे, पर कभी नहीं थकते थे,

पूरा दिन खेल कूद, मस्ती कर सकते थे !


चाचा-चाची, ताया-ताई प्यार इतना करते थे,

उनका हर काम भाग भाग किया करते थे !


पापा की मार में प्यार छुपा होता था,

मम्मी की डाँट में दुलार छिपा होता था !


वो यादें अब भी दिमाग़ को सुकून दे जाती हैं,

बचपन, तेरी बहुत याद आती है !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract