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कहानी चलती रहती है

कहानी चलती रहती है

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जीवन की इस बहती धारा में

सुखदु:ख की धूपछांव कहती है

कितने ही मौसम आए और गए

इन्सां की कहानी चलती रहती है ।


चार दिनों की जिंदगानी सबकी

पल खुशी के दामन मे समेटकर

दुनिया के मेले में आए रोते हुए

फिर भी हँसकर ग़म ये सहती है।


जीवन का रुप कितना अनोखा

आरंभ संघर्ष का होता जन्म से

अंतिमतः पाकर आत्मीय सुख

इमारत कमज़ोर देह की ढहती है ।


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