हद से ज़्यादा
हद से ज़्यादा
हाँ बस तेरा ही रहता है ख़याल
कैसे रहूँ तेरे करीब, यही ख़ुद से करता हूँ सवाल
तेरी हँसी को अपने ख़्वाब से जोड़ता हूँ
मेरी मंजिल मुझे नहीं पता, पर अपने सफ़र की हर राह तेरी तरफ मोड़ता हूँ
आँखों को अजीब बीमारी लगी है
बस तेरी ही तस्वीर इसमें बनने लगी है
बेइन्तेहाँ तेरा सुरूर मुझपे छा गया है
हाँ सबसे ज़्यादा
हर हद से ज़्यादा
मुझे तुझसे प्यार हो गया है
कुछ अधूरा लगता है अब ज़िन्दगी में
तो वो है तेरी दूरी
कुछ कमी जो रह जाती है मेरी ख़्वाहिश में
वो तेरे इक़रार से होती है पूरी
मेरी धड़कन तेरे नाम की नज़्म पढ़ती है
तू जैसे सबसे बेहतरीन शायरी है मेरी
तेरी हर बात को मानता हूँ मैं आयत की तरह
रब को अगर मानता हूँ अब, तो तू ही है इसकी वजह
हाँ सब से ज़्यादा
हर हद से ज़्यादा
मुझे तुझसे प्यार हो गया है
तेरे अलावा नहीं होता मेरी बातों में किसी का ज़िक्र
तेरे साथ वक़्त कैसे बिताऊँ, इसके अलावा नहीं होती मुझे कोई फ़िक्र
मेरी सुबह, मेरी, शाम सब तेरे साथ जुड़ गई है
हर आरज़ू, हर तमन्ना, बस तेरे साथ जुड़ गई है
हाँ सब से ज़्यादा
हर हद से ज़्यादा
मुझे तुझसे मोहब्बत हो गई है
मुझे तुझसे मोहब्बत हो गई है