पता है
पता है
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मुझे कितना रुलाया था पता है तुझे
वफ़ा ने मार डाला था पता है तुझे
बेवज़ह में ख़ुदा को मंदिरो में ढूंढ रहा था
तब माँ के आशीर्वाद ने बुलाया था पता है तुझे
इंसान की एक ही बात मुझे पसंद नही आई
अमीरों की अमीरी देख कर आया था पता है तुझे
परिंदे उड़ रहे हे किसी के सहारे के बिना यहाँ
नशे की आदत में इंसान उड़ रहा था पता है तुझे
वक़्त की कद्र हम भी करते है और मर भी गए
ऐसी बाते शहीदों की माँ को बताया था पता है तुझे
पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है 'रहीश'
अपने आपको भी क़ब्र में छोड़ दिया था पता है तुझे